*एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोज़ाना भोजन पकाती थी और एक रोटी वह वहाँ से गुजरने वाले किसी भी भूखे के लिए पकाती थी..।*
*वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी, जिसे कोई भी ले सकता था..।*
*एक कुबड़ा व्यक्ति रोज़ उस रोटी को ले जाता और बजाय धन्यवाद देने के अपने रस्ते पर चलता हुआ वह कुछ इस तरह बड़बड़ाता- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा..।"*
*दिन गुजरते गए और ये सिलसिला चलता रहा..*
*वो कुबड़ा रोज रोटी लेके जाता रहा और इन्ही शब्दों को बड़बड़ाता - "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा.।"*
*वह औरत उसकी इस हरकत से तंग आ गयी और मन ही मन खुद से कहने लगी की-"कितना अजीब व्यक्ति है,एक शब्द धन्यवाद का तो देता नहीं है, और न जाने क्या-क्या बड़बड़ाता रहता है, मतलब क्या है इसका.।"*
*एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और बोली-"मैं इस कुबड़े से निजात पाकर रहूंगी।"*
*और उसने क्या किया कि उसने उस रोटी में ज़हर मिला दिया जो वो रोज़ उसके लिए बनाती थी, और जैसे ही उसने रोटी को को खिड़की पर रखने कि कोशिश की, कि अचानक उसके हाथ कांपने लगे और रुक गये और वह बोली- "हे भगवन, मैं ये क्या करने जा रही थी.?" और उसने तुरंत उस रोटी को चूल्हे कि आँच में जला दिया..। एक ताज़ा रोटी बनायीं और खिड़की के सहारे रख दी..।*
*हर रोज़ कि तरह वह कुबड़ा आया और रोटी ले के: "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा" बड़बड़ाता हुआ चला गया..।*
*इस बात से बिलकुल बेख़बर कि उस महिला के दिमाग में क्या चल रहा है..।*
*हर रोज़ जब वह महिला खिड़की पर रोटी रखती थी तो वह भगवान से अपने पुत्र कि सलामती और अच्छी सेहत और घर वापसी के लिए प्रार्थना करती थी, जो कि अपने सुन्दर भविष्य के निर्माण के लिए कहीं बाहर गया हुआ था..। महीनों से उसकी कोई ख़बर नहीं थी..।*
*ठीक उसी शाम को उसके दरवाज़े पर एक दस्तक होती है.. वह दरवाजा खोलती है और भोंचक्की रह जाती है.. अपने बेटे को अपने सामने खड़ा देखती है..।*
*वह पतला और दुबला हो गया था.. उसके कपडे फटे हुए थे और वह भूखा भी था, भूख से वह कमज़ोर हो गया था..।*
*जैसे ही उसने अपनी माँ को देखा, उसने कहा- "माँ, यह एक चमत्कार है कि मैं यहाँ हूँ.. आज जब मैं घर से एक मील दूर था, मैं इतना भूखा था कि मैं गिर गया.. मैं मर गया होता..।*
*लेकिन तभी एक कुबड़ा वहां से गुज़र रहा था.. उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया.. भूख के मरे मेरे प्राण निकल रहे थे.. मैंने उससे खाने को कुछ माँगा.. उसने नि:संकोच अपनी रोटी मुझे यह कह कर दे दी कि- "मैं हर रोज़ यही खाता हूँ, लेकिन आज मुझसे ज़्यादा जरुरत इसकी तुम्हें है.. सो ये लो और अपनी भूख को तृप्त करो.।"*
*जैसे ही माँ ने उसकी बात सुनी, माँ का चेहरा पीला पड़ गया और अपने आप को सँभालने के लिए उसने दरवाज़े का सहारा लीया..।*
*उसके मस्तिष्क में वह बात घुमने लगी कि कैसे उसने सुबह रोटी में जहर मिलाया था, अगर उसने वह रोटी आग में जला के नष्ट नहीं की होती तो उसका बेटा उस रोटी को खा लेता और अंजाम होता उसकी मौत..?*
*और इसके बाद उसे उन शब्दों का मतलब बिलकुल स्पष्ट हो चूका था-* *जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा,और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा।।*
*" निष्कर्ष "* ========== *हमेशा अच्छा करो और अच्छा करने से अपने आप को कभी मत रोको, फिर चाहे उसके लिए उस समय आपकी सराहना या प्रशंसा हो या ना हो..।* ==========
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मैं आपसे दावे के साथ कह सकता हूँ कि ये बहुत से लोगों के जीवन को छुएगी व बदलेगी.:pray::blush:
Zindagi Behal Hai
Sur Hai
Na Taal Hai, Msg Box Bhi
Kangal Hai, Kya aapke sms
Factory Mein Hadtal Hai, Yaar Kuch
Bhi Bhejo, Ye Mere Mobile
Ki Zindagi Ka Sawal Hai...Waris ali
The best relation is the one in which,
you feel free to show even your
Negative side and still have the hope
That it will streng then your relationship..
સુખનું સ્ટેશન શોધવાનો પ્રયત્ન હરકોઈ સતત કરતા રહે છે, પણ મહદંશે એમાં સરિયામ નિષ્ફળતા મળે છે. નિષ્ફળતાનું કારણ ખોટી દિશામાં ફાંફાં મારવાનું છે. સાચું સુખ કોને કહેવાય અથવા કઈ રીતે સાચું સુખ મળે એનું ચિંતન-મનન કર્યા સિવાય જ કે સાચા સુખના અધિકારી થયા સિવાય એ દિશામાં દોડવું એ આંધળી દોટ છે. શ્રીખંડ ભાવે છે, આનંદ મળે છે અને સુખનો આભાસ થાય છે પણ ત્યાં સુખ અને સંતોષની રેખા થોડી મિનિટોમાં સમાપ્ત થઈ જાય છે. ગાડી-બંગલા-વ્યાપાર બધું હોય તોય એમાંય સુખની રેખા ક્યારે અદશ્ય થઈ જાય એની જાણ પણ થતી નથી.
:) Reality :)
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Most of the problems in Our life are because of two Logical REASONS
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1st: We always act without THINKING..
2ndly: We keep thinking without any ACTION..!!
Jaha yad na aye wo tanhai kis kam ki,
Bigde rishte na bane to khudai kis kam ki,
Beshak apni manzil tk jana h,
Par jaha se apne na dikhe wo uchai kis kaam ki...
Ek Parinde ka dard bhara fasana tha
tute the pank fir bhi udte hue jana tha
tufaan to jhel gaha par hua ek afsos
wohi daal tuti ped ki jispar uska ashiyana tha.
ઊંઘમાં નસકોરાં બોલતા હોય તેવી સ્ત્રી, નગ્ન સૂઈ જનારો પુરુષ – આ બંને અલ્પાયુ બને છે. દિવસે સંભોગ, રાત્રે જુગાર – આ બંને કાર્યો જીવનના દિવસો ટૂંકા કરે છે. એક વાત હમેશાં ધ્યાનમાં રાખો કે દરેક કામનો એક સમય હોય છે. સમયના ટાંકણે જ કામ કરનારા મહાન બને છે.