समंदर पीड का अंदर है लेकिनरो नहीं सकता,
ये आँसु प्यार का मोती हैइसको खो नहीं सकता,
मेरी चाहत को दुल्हन तु बनालेना मगर सुन ले...
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा.
दिल तो तोड ही दिया आपने,
अब चिता भी जला देना ,
कफ़न ना मिले तो ,
ये दुपट्टा ही ओढ़ा देना ,
कोई पुछे कि बिमारी क्या थी हमें ,
तो नजरे झुका के मोहब्बत बता देन.
अब तो अपनी तबियत भी कुछ जुदा सी लगती है;
सांस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा सी लगती है;
कभी राज़ी तो कभी मुझसे खफा सी लगती है;
ज़िंदगी तु ही बता कि तु मेरी क्या लगती है।
यही हुआ कि हवा ले गई उड़ा केमुझे
तुझे तो कुछ न मिला ख़ाक मेंमिला के मुझे
बस एक गूँज है जो साथ-साथचलती है
कहाँ ये छोड़ गए फ़ासले सदा केमुझे
हो इक अदा तो उसे नाम दूँतमन्ना का
हज़ार रंग हैं इस शोला-ए-हिनाके मुझे
बलन्द शाख़ से उलझा था चाँदपिछले पहर
गुज़र गया है कोई ख़्वाब-सादिखा के मुझे
मैं अपनी मौज में डूबा हुआजज़ीरा हूँ
उतर गया है समन्दर बलन्द पाके मुझे
वफाओं की बातें की हमने जफ़ाओं के सामने;
ले चले हम चिराग़ हवाओं के सामने;
उठे हैं जब भी हाथ बदली हैं क़िस्मतें;
मजबूर है खुदा भी दुआओं के सामने।
Tumhari pasand hamari chahat ban jaaye,
Tumhari muskrahat dil ki rahat ban jaaye,
Khuda khushiyo se itna khush kar de apko
Ki aapko khush dekhna hmari adat ban jaaye.
गुलसन है अगर सफ़र
जिंदगी का,
तो इसकी मंजिल समशान
क्यों है ?
जब जुदाई है प्यार का मतलब, तो फिर प्यार
वाला हैरान क्यों है ?
अगर जीना ही है
मरने के लिए, तो जिंदगी ये वरदान
क्यों है ?
जो कभी न मिले उससे
ही लग जाता है दिल,
आखिर ये दिल इतना नादान क्यों है