जर्जर हौसला मरम्मत मांगता है;
मुश्किल वक्त हिम्मत मांगता है;
उम्र भर नेकी न
की गयी मगर;
अब बुढ़ापे में जन्नत मांगता है;
मुश्किल वक्त...
वफ़ा के सौदे में वो सितमगर मुझसे;
शर्त में बेशर्त मोहब्बत मांगता है;
मुश्किल वक्त...
काफ़िर बेटों का वो खुदा-परस्त बाप;
औलादों के लिए मन्नत मांगता है;
मुश्किल वक्त...
एक रुपया नहीं निकलता उनकी जेब
से;
जिनके लिए माँ का दिल बरकत मांगता है;
मुश्किल वक्त...
तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार...
तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार जब से है;
न शब को दिन से शिकायत न दिन को शब से है;
किसी का दर्द हो करते हैं तेरे नाम रक़म;
गिला है जो भी किसी से तेरे सबब से है;
हुआ है जब से दिल-ए-नासुबूर बेक़ाबू;
कलाम तुझसे नज़र को बड़े अदब से है;
अगर शरर है तो भड़के, जो फूल है तो खिले;
तरह तरह की तलब तेरे रंगे-लब से है;
कहाँ गये शबे-फ़ुरक़त के जागनेवाले;
सितारा-ए-सहरी हमकलाम कब से है।
शायरी की कदर को सिर्फ आशिक समझता है,
धरती की प्यास को सिर्फ बादल समझता है,
उन की मोहब्बत को मेरा दिल समझता है,
मेरी मोहब्बत के एहसासो को मेरा रब समझता है…
pyar unse karo jo use nibhana janta ho, dil usko do jo use sambhalna janta ho, khwab unse rakho jo use apna mane, khwab unse mat rakho jo sirf todna janta ho.
हम दोस्ती इस कदर निभायेगें, अगर ना मिली नौकरी तो बिलकुल नहीं घबरायेगें, बस स्टैण्ड के पास चाय की दूकान लगायेगें, तुम चाय बनाना हम चाय-चाय चिल्लायेगें, जो कमाई होगी उससे अपना जीवन साथ-साथ बितायेगें |
दिल मेरा जिस से बहलता...
दिल मेरा जिस से बहलता कोई ऐसा न मिला;
बुत के बने तो मिले अल्लाह का बंदा ना मिला;
बज़्म-ए-याराँ से फिरी बाद-ए-बहारी मायूस;
एक सर भी उसे आमादा-ए-सौदा न मिला;
गुल के ख़्वाहाँ तो नज़र आये बहुत इत्रफ़रोश;
तालिब-ए-ज़मज़म-ए-बुलबुल-ए-शैदा न मिला;
वाह क्या राह दिखाई हमें मुर्शद ने;
कर दिया काबे को गुम और कलीसा न मिला;
सय्यद उट्ठे जो गज़ट ले के तो लाखों लाये;
शैख़ क़ुरान दिखाता फिरा पैसा न मिला।