तुम यहाँ धरती पर लकीरें
खींचते हो;
हम वहाँ अपने लिये नये आसमान ढूंढते हैं;
तुम बनाते जाते हो पिंजड़े पे पिंजड़ा;
हम अपने पंखों में नयी उड़ान ढूंढते हैं।
#मन्दिर :european_castle: की #घण्टी :bell: बजा #बजा कर भी #थक :disappointed_relieved: चुका हूं... ना जाने उसके #दिल :heartpulse: में मेरे #प्यार :couple_with_heart: की #घंटी :bell: कब बजेगी?
या मुझे अफ़्सर-ए-शाहा...
या मुझे अफ़्सर-ए-शाहा न बनाया होता;
या मेरा ताज गदाया न बनाया होता;
ख़ाकसारी के लिये गरचे बनाया था मुझे;
काश ख़ाक-ए-दर-ए-जानाँ न बनाया होता;
नशा-ए-इश्क़ का गर ज़र्फ़ दिया था मुझको;
उम्र का तंग न पैमाना बनाया होता;
अपना दीवाना बनाया मुझे होता तूने;
क्यों ख़िरदमन्द बनाया न बनाया होता;
शोला-ए-हुस्न चमन में न दिखाया उसने;
वरना बुलबुल को भी परवाना बनाया होता।
दर्द जब हद से गुजर जाता हूँ तो रो लेता हूँ;
जब किसी से कुछ कह
नहीं पता तो रो लेता हूँ;
यूँ तो मेला हैं चारों तरफ हमारे, लोगों का मगर;
जब कोई अपना नजर नहीं आता तो रो लेता हूँ।