कभी नजरे मिलाने में...
कभी नजरे मिलाने में जमाने बीत जाते है;
कभी नजरे चुराने में जमाने बीत जाते है;
किसी ने आँखे भी ना खोली तो सोने की नगरी में;
किसी को घर बनाने में जमाने बीत जाते है;
कभी काली सियाह राते हमें एक पल की लगती है;
कभी एक पल बिताने में ज़माने बीत जाते है;
कभी खोला दरवाजा सामने खड़ी थी मंजिल;
कभी मंजिल को पाने में जमाने बीत जाते है;
एक पल में टूट जाते है, उम्र भर के वो रिश्ते;
जिन्हें बनाने में जमाने बीत जाते है।
ए रात सोने दे...
ए रात सोने दे यूं तंग ना किया कर;
बेकार सवालों में पाबंद ना किया कर;
इस के सिवा और भी ज़माने के काम हैं;
तु मेरे ख्यालात बे-ढंग ना किया कर;
दुनियाँ में और लोग भी बस्ते हैं तन्हा;
तु सिर्फ मेरे साथ ही जंग न किया कर;
ए रात सोने दे यूँ तंग ना किया कर;
मज़बूत हूँ, पर इतना भी नहीं हूँ;
दुनिया के सभी ग़म मेरे संग ना किया कर;
ए रात सोने दे यूँ तंग न किया कर।
बहुत महंगे किराए के मकाँ से;
चलो आओ चलें अब इस जहां से;
यूँ ही तुम थामे रहना हाथ मेरा;
हमे जाना है आगे आसमां से;
ये तुम ही हो मेरे हमराह वरना;
मेरे पैरों में दम आया कहाँ से;
मेरी आँखों से क्या ज़ाहिर नहीं था;
मैं तेरा नाम क्या लेता जुबां से।
Aaj khuda ne phir puchha tera hasta huya
chehra udas kyun hai?
teri ankhoin me pyas kyun hai?
Jinke pas tere liye waqt hi nhi wohi tere
liye khas kyun hai???
मेरी गली से वो जब भी गुज़रता होगा;
मोड़ पे जा के कुछ देर ठहरता होगा;
भूल जाना मुझको इतना आसान तो न होगा;
दिल में कुछ तो टूट के उसके भी बिखरता होगा।
क्या फ़र्क है दोस्ती और मोहब्बत में,
रहते तो दोनों दिल में ही हैं लेकिन फ़र्क तो है;
बरसों बाद मिलने पर दोस्ती सीने से लगा लेती है,
और मोहब्बत नज़र चुरा लेती है।