याद आती है तुम्हारी तो सिहर
जाता हूँ मैं;
देख कर साया तुम्हारा अब तो डर जाता हूँ मैं;
अब न पाने की तमन्ना है न है खोने का डर;
जाने क्यूँ अपनी ही चाहत से मुकर
जाता हूँ मैं।
वक्त :watch: गुजारने के लिये तो मेरे पास भी Chat:speech_left: पर लडकियाँ :two_women_holding_hands: हजार हे, लेकिन वक्त :watch: के सहारे जो जिन्दगी :earth_americas: गुजार दे, मुझे :heart_eyes: तो उस लडकी :girl: का इन्तजार हे.
हम दोस्ती इस कदर निभायेगें, अगर ना मिली नौकरी तो बिलकुल नहीं घबरायेगें, बस स्टैण्ड के पास चाय की दूकान लगायेगें, तुम चाय बनाना हम चाय-चाय चिल्लायेगें, जो कमाई होगी उससे अपना जीवन साथ-साथ बितायेगें |
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र
के हम है;
रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम है;
पहले हर चीज़
थी अपनी मगर अब लगता है;
अपने ही घर में किसी दूसरे घर के
हम है;
वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों से;
किसको मालूम कहाँ के हैं, किधर के हम हैं;
चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफ़िर का नसीब;
सोचते रहते हैं किस राहग़ुज़र के हम है।
कही ईसा, कहीं मौला,
कहीं भगवान रहते है;
हमारे हाल से शायद सभी अंजान रहते हैं;
चले आये, तबीयत आज
भारी सी लगी अपन
सुना था आपकी बस्ती में कुछ इंसान
रहते है।