मेरी गली से वो जब भी गुज़रता होगा;
मोड़ पे जा के कुछ देर ठहरता होगा;
भूल जाना मुझको इतना आसान तो न होगा;
दिल में कुछ तो टूट के उसके भी बिखरता होगा।
नया दर्द एक और दिल में जगा कर चला गया;
कल फिर वो मेरे शहर में आकर चला गया;
जिसे ढूंढ़ता रहा मैं लोगों की भीड़ में;
मुझसे वो अपने आप को छुपा कर चला गया।
तेरी ज़ुल्फ़ों से जुदाई तो नहीं माँगी थी
क़ैद माँगी थी रिहाई तो नहींमाँगी थी !!
मैने क्या जुर्म किया आप ख़फ़ा हो बैठे
प्यार माँगा था ख़ुदाई तो नहीं माँगी थी !!
मेरा हक़ था तेरी आँखों की छलकती मय पर
चीज अपनी थी पराई तो नहीं माँगी थी !!
चाहने वालों को कभी तूने सितम भी न दिया
तेरी महफ़िल में रुसवाई तो नहीं माँगी थी !!
दुशमनी की थी अगर वह भी निबाहता ज़ालिम
तेरी हसरत में भलाई तो नहींमाँगी थी !!
अपने दीवाने पे इतने भी सितम ठीक नही
तेरी उलफ़त में बुराई तो नहीं माँगी थी !
Meri uljhi duniya ko tu yu aabad na kar,
beete lamho ko tu firse yaad na kar,
ek ked parinde ka hai tumse bas yahi kehna,
me bhul chuka hu udaan mujhe firse aazad na kar..
या मुझे अफ़्सर-ए-शाहा...
या मुझे अफ़्सर-ए-शाहा न बनाया होता;
या मेरा ताज गदाया न बनाया होता;
ख़ाकसारी के लिये गरचे बनाया था मुझे;
काश ख़ाक-ए-दर-ए-जानाँ न बनाया होता;
नशा-ए-इश्क़ का गर ज़र्फ़ दिया था मुझको;
उम्र का तंग न पैमाना बनाया होता;
अपना दीवाना बनाया मुझे होता तूने;
क्यों ख़िरदमन्द बनाया न बनाया होता;
शोला-ए-हुस्न चमन में न दिखाया उसने;
वरना बुलबुल को भी परवाना बनाया होता।
हवा बन कर...
हवा बन कर बिखरने से;
उसे क्या फ़र्क़ पड़ता है;
मेरे जीने या मरने से;
उसे क्या फ़र्क़ पड़ता है;
उसे तो अपनी खुशियों से;
ज़रा भी फुर्सत नहीं मिलती;
मेरे ग़म के उभरने से;
उसे क्या फ़र्क़ पड़ता है;
उस शख्स की यादों में;
मैं चाहे रोते रहूँ लेकिन;
मेरे ऐसा करने से;
उसे क्या फ़र्क़ पड़ता है।
उम्र की राह में रास्ते बदल जाते हैं;
वक़्त की आंधी में इंसान बदल जाते हैं;
सोचते हैं तुम्हें इतना याद न करे लेकिन;
आँख बंद करते ही ख़यालात बदल जाते हैं।
Kisi Kee Yaad Dil Mein Aaj Bhi Hain,
Bhool Gaye Wo Magar Pyaar Aaj Bhi Hain,
Hm Khush Rehne Ka Dawa To Krte H Magar
Unki Yaad Mein Behte Aansu Aaj Bhi Hain !